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Conversation (a poem by Pankaj Sharan)

English Interpretation of a Hindi Poem, both by Pankaj Sharan.
(The original Hindi version follows the English interpretation)

 

Relax
Don’t frown
Allow your face
To ease
Into the familiar profile.

And although
It’s time to go
Let’s sit down
and talk a little while.

What’s it?
Nausea?
Must be the changing season.
You were up till late
Last night?
That’s why.

The two are related, I mean
Being awake all night
And this depression.
This tinge of gloom
In a room
That smells
Of cold stale coffee
And fresh newsprint!
You see,

Why don’t you stay?

Don’t hide
That pain
With a smile
Or a frown
Instead
Let’s sit down
Although
It’s time to go.

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Hindi Original
बात-चीत

यों सहज बनो
चेहरे को पहचानी रेखाओं में ढलने दो
और अगर ख़त्म भी होने को हो
तो
उखड़ती हुई ही सही
थोड़ी देर और
इस बात को चलने दो।

क्या कहा?
जी मिचला रहा है?
ऐसा इस मौसम में अक्सर हो जाता है।
कल खाया था ठीक से?
अहा ! जगी थीं देर तक, तभी तो —

माना, मन बहुत उदास है
पर देर तक जगने
और उदास रहने में
यही तो नाता है
कि देर तक अलसाये सपनों में जगो
और  खिड़की से आती धूप
को बेखबर कमरे में ढलने दो

पर जब कड़ुआइ आँखों में
मन की गहराती हुई वेदना उठे
तो उसे रोकने की (बेकार)
कोशिश मत करो
वैसे ही उसे आँखों में
छोड़ दो, पलने दो

और इसीलिए
यह जानते हुए भी
कि बात करने से यह
वेदना कम तो नहीं हो जाएगी
बात, बात करने के लिए ही सही
थोड़ी देर और
इस बात को चलने दो।

 


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